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समलैंगिकता पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला, आपसी सहमती वाले समलैंगिक संबंधों को दी हरी झंडी
समलैंगिक संबंधों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने आखिरकार हरी झंड़ी दिखा ही दी। हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि अगर दो लोग रजामंदी से इस तरह के संबंध बनाते हैं तो इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि धारा-377 अनुच्छेद-21 के खिलाफ है जो सबको एकसमान जीने का अधिकार देता है। कोर्ट ने इसे साफ तौर पर संविधान के खिलाफ करार दिया। फिलहाल कोर्ट ने इस फैसले से बच्चों को बाहर ही रखा है। इस मामले पर हाईकोर्ट ने पिछले साल नवंबर से फैसला सुरक्षित रखा था। आईपीसी की धारा-377 के तहत अप्राकृतिक संबंध बनाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है और दोषी पाए जाने पर उम्रकैद तक हो सकती है। लेकिन हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाकर समलैंगिकों को बड़ी राहत दी है। उधर, कानून मंत्री वीरप्पा मोईली ने कहा है कि कोर्ट के इस फैसले की समीक्षा की जाएगी।
अन्तराष्ट्रीय
एम्नेस्टी इंटरनेश्नल ने इज़राइल को गाज़ा में युद्ध अपराध का दोषी मानाहाल में गाजा में हुए युद्ध के मामले में एम्नेस्टी इंटरनेश्नल ने आज अपनी जो रिपोर्ट दी है उसमें उसने इजराइली सेना को सौकड़ों गाज़ावासियों की हत्या करने और हज़ारों घरों को नष्ट करने का दोषी माना है। एम्नेस्टी ने इजराइल से मांग की है कि वो सार्वजनिक तौर पर ये शपथ ले कि वो घनी आबादी वाले इलाकों पर हमलों के दौरान आर्टिलरी, सफेद फॉस्फोरस और दूसरे घातक हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा। साथ ही एम्नेस्टी ने गाजा के उग्र संगठन हमास से भी अपील की है कि वो इज़राइल पर रॉकेटों से हमले करने से बाज आए। एम्नेस्टी ने हमास की गतिविधियों को भी युद्ध अपराध माना है।
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