Tuesday, July 7, 2009

प्रिय पाठकों,
जैसा कि आप जानते हैं कि हमारा ब्लॉग हिंदी भूमि हिंदी भाषा के लिए समर्पित है। लेकिन हम सभी ये जानते हैं कि देश की पचास करोड़ जनता द्वारा संपर्क भाषा के तौर पर इस्तेमाल किए जाने के बाद बावजूद, दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा होने के बावजूद इस भाषा को भारत में और विश्व स्तर पर भी, वो रुतबा हासिल नहीं हो पाया है जिसकी ये हकदार है। कहते हैं कि भाषा संस्कृति का हिस्सा होती है और वही संस्कृति दुनिया में टिकती है, एक बुलंद मकाम हासिल करती है जिसमें दम हो। भारत भूमि की मिट्टी से उपजी हमारी भाषा ‘हिंदी’ क्या इतनी ताकतवर है कि वो भारतीय सभ्यता के साथ साथ विश्व सभ्यता को प्रभावित कर सके ? क्या हमारी भाषा और संस्कृति विश्व सभ्यता के लिए कोई योगदान कर पा रही है ? अगर आपको लगता है कि हां हमारी भाषा में इतना दम है, हमारी सभ्यता इतनी जवान है तो आप हमें ये जरूर बताएं कि हमारी भाषा और संस्कृति के वो कौन-कौन से तत्व हैं जो विश्व सभ्यता और संस्कृति को प्रभावित कर रहे हैं। अपनी भाषा और संस्कृति को समझने के लिए आपका जवाब हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। साथ ही आप ये भी बतायें कि अपनी भाषा को विश्व स्तर पर और ज्यादा उपयोगी बनाने के लिए हमें और क्या करना है।
आपके जवाब कि प्रतीक्षा में,
आपका विनम्र दोस्त
मृत्युंञ्जय

3 comments:

  1. भैया बड़ा कठिन सवाल है। कमाल की बात करते हैं आप कहीं बिना अंग्रेजी में रीसर्च किए हिंदी के सही हालात पता चल सकते हैं वो भी वैश्विक गांव में? अंग्रेजी में रीसर्च अपने बस की बात नहीं तो कैसे दें जवाब?

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  2. सवाल बड़ा कठिन है लेकिन अपने आप में बेहद प्रासंगिक भी।
    संजय कुमार

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  3. सुन्‍दर। शुभकामनाएँ।

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